Sunday, March 31, 2019

Meditation techniques (ध्यान तंत्र: (VBT32) विज्ञान भैरव तंत्र ३२)


Every month I will be sharing one technique of meditation. There will be original Sanskrut text, and English / Marathi / Hindi commentary on the technique. I expect reader should not take it as just a piece of information but practice the technique that suits him/her for at least one month to further the spiritual quest.

| These 112 meditation techniques are the ultimate source for self realization | 

विज्ञान भैरव तंत्र    

Vidnyan Bhairav Tantra

श्री देव्युवाच
श्रुतं देव मया सर्वं रुद्रयामलसम्भवम् |
त्रिकभेदमशेषेण सारात्सारविभागशः ||

अद्यपि न निवृत्तो मे संशय: परमेश्वर |
किं रुपं तत्वतो देव शब्दराशिकलामयम् ||

किं वा नवात्मभेदेन भैरवे भैरवाकृतौ |
त्रिशिरोभेदभिन्नं वा किं वा शक्तित्रयात्मकम् ||

नादबिन्दुमयं वापि किं चंद्रार्धनिरोधिका: |
चक्रारुढमनच्कं वा किं वा शक्तिस्वरुपकम् ||

परापराया: सकलम् अपरायाश्च वा पुनः |
पराया यदि तद्वत्स्यात् परत्वं तद्विरुध्यते ||

नहि वर्ण विभेदेन देहभेदेन वा भवेत् |
परत्वंनिष्कलत्वेनसकलत्वे न तदभवेत् ||

प्रसादं कुरु मे नाथ नि:शेषं छिन्धि संशयम् |


भैरव उवाच
साधु साधु त्वया पृष्टं तन्त्रसारमिदं प्रिये |

गूहनीयतमं भद्रे तथापि कथयामि ते |
यत्किञ्चित्सकलं रुपं भैरवस्य प्रकीर्तितम् ||

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देवीने विचारले...

हे शिवा! तुझे खरे स्वरुप काय आहे?
हे अचंबित करणारे जगत काय आहे?
बीजाचे मूलतत्व काय आहे?
संसाररुपी चक्राच्या केंद्रस्थानी काय आहे?
नामरुपांच्या पलिकडे काय आहे?
नामरुपातीत अमृतत्वाची प्राप्ती शक्य आहे का?
कृपया माझे शंकानिरसन करा...

शिवाने उत्तरादाखल ११२ ध्यानतंत्रे सांगितली. ज्ञात-अज्ञात विश्वातील सर्व पंथसंप्रदाय,ज्ञानमार्ग यातील एक अथवा अधिक तंत्र पद्धतीद्वारा उत्पन्न झाले. भूतवर्तमान तसेच भविष्य काळातील तत्त्ववेत्तेप्रेषित यातील एक अथवा अधिक तंत्रपद्धतीचे फलस्वरुप आहेत.  

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Devi Asks:

O Shiva, what is your reality?
What is this wonder-filled universe?
What constitutes seed?
Who centres the universal wheel?
What is this life beyond form pervading forms?
How may we enter it full, above space and time, names and descriptions?
Let my doubts be cleared!

Now Shiva replies and describes 112 meditation techniques.  All the religions of the world, all the seers of the world, have reached the peak through some technique or other, and all those techniques will be in these one hundred and twelve techniques.

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तंत्र ३२


भुवनाध्वादिरूपेण चिन्तयेत्क्रमशोSखिलम् |
स्थूलसूक्ष्मपरस्थित्या यावदन्ते मनोलयः ||
By meditating on the entire form of the universe and the course of its development through time and space, gradually dissolve the gross into the subtle and the subtle into the state of being beyond, until the mind is finally dissolved into pure consciousness.

चिदानंदघन परमेश्वर अपनी उन्मना शक्ती की सहायता से शून्य से लेकर पृथ्वी पर्यंत इस अनंत जगत को एक साथ प्रकाशित कर देता है | वाच्यवाचक रूप में विभक्त इस जगत को यद्यपि वह अपने स्वरूप में ही प्रकाशित करता है, अतः वास्तव में इनमे कोई भेद नही होता. जैसे की वृक्ष अपने बीज में छिपा रहता है वैसे विश्व के सभी पदार्थ एक दुसरे से परस्पर संबद्ध है, अतः कहा जा सकता है की सभी पदार्थ सर्वात्मक है | इस प्रत्येक भाव में वस्तुतः षडध्व का विस्तार देखा जा सकता है और यह सब कुछ परमेश्वर की स्वातंत्र्यशक्ती का ही विलास है | अकार से लेकर हकार पर्यंत वर्णोका परामर्श जब परिपक्व हो जाता है, तो उसका अहंता में विश्राम होता है | स्थूलतर का स्थूल में, स्थूल का सूक्ष्म में और सूक्ष्म का पर भाव में, अर्थात चिन्मात्र के बोध में विलयन कर देना चाहिये | इस अध्वशोधन की प्रक्रिया की आधार पर शिव तत्व के स्वरूप का चिंतन करने से साधक का चित्त विलीन हो जाता है |  

Look always at every object or person as if looking for the first time
(Dharana on universal dissolution)

Due to past experiences we do not see any object while looking at it for second time. Mind interprets it to you and whole process becomes robot like, mechanical. Hence there is no freshness in look, function of eyes are not even utilized. Always look at any object or person as if looking for first time because nothing is static in this world. Everything is in flux. Our insensitivity makes everything static. We are not alive to experience this freshness around us. If you look always with this attitude, you will always remain in present. It will bring freshness and innocence in your look. Mirror like, silent and penetrating look only can enter to see the inner world. 

ब्रह्मांडातील प्रत्येक वस्तू प्रत्येक क्षणाला नित्यनूतन...

कोणत्याही वस्तूकडे अथवा व्यक्तीकडे दुसर्‍यांदा बघताना डोळ्यांचा वापर नाही. मनाच्या जडत्वामुळे आपल्या बहुतेक क्रिया यंत्रवत. खरे तर संसारात जुने असे काहीच नाही. इंद्रियांच्या अक्षमतेमुळे आणी विचारप्रवण मनाच्या प्राबल्यामुळे नाविन्याची जाणीव नाही. प्रत्येक वस्तू वा व्यक्ती प्रथमच पहात असल्याच्या जाणीवेतून पहा. डोळ्यात जिवंतपणा येईल. दृष्टी तीक्ष्ण व निरागस. भूत आणी भविष्याचा विलय.

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