Thursday, February 28, 2019

Meditation techniques (ध्यान तंत्र: (VBT31) विज्ञान भैरव तंत्र ३१)


Every month I will be sharing one technique of meditation. There will be original Sanskrut text, and English / Marathi / Hindi commentary on the technique. I expect reader should not take it as just a piece of information but practice the technique that suits him/her for at least one month to further the spiritual quest.

| These 112 meditation techniques are the ultimate source for self realization | 

विज्ञान भैरव तंत्र    

Vidnyan Bhairav Tantra

श्री देव्युवाच
श्रुतं देव मया सर्वं रुद्रयामलसम्भवम् |
त्रिकभेदमशेषेण सारात्सारविभागशः ||

अद्यपि न निवृत्तो मे संशय: परमेश्वर |
किं रुपं तत्वतो देव शब्दराशिकलामयम् ||

किं वा नवात्मभेदेन भैरवे भैरवाकृतौ |
त्रिशिरोभेदभिन्नं वा किं वा शक्तित्रयात्मकम् ||

नादबिन्दुमयं वापि किं चंद्रार्धनिरोधिका: |
चक्रारुढमनच्कं वा किं वा शक्तिस्वरुपकम् ||

परापराया: सकलम् अपरायाश्च वा पुनः |
पराया यदि तद्वत्स्यात् परत्वं तद्विरुध्यते ||

नहि वर्ण विभेदेन देहभेदेन वा भवेत् |
परत्वंनिष्कलत्वेनसकलत्वे न तदभवेत् ||

प्रसादं कुरु मे नाथ नि:शेषं छिन्धि संशयम् |


भैरव उवाच
साधु साधु त्वया पृष्टं तन्त्रसारमिदं प्रिये |

गूहनीयतमं भद्रे तथापि कथयामि ते |
यत्किञ्चित्सकलं रुपं भैरवस्य प्रकीर्तितम् ||

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देवीने विचारले...

हे शिवा! तुझे खरे स्वरुप काय आहे?
हे अचंबित करणारे जगत काय आहे?
बीजाचे मूलतत्व काय आहे?
संसाररुपी चक्राच्या केंद्रस्थानी काय आहे?
नामरुपांच्या पलिकडे काय आहे?
नामरुपातीत अमृतत्वाची प्राप्ती शक्य आहे का?
कृपया माझे शंकानिरसन करा...

शिवाने उत्तरादाखल ११२ ध्यानतंत्रे सांगितली. ज्ञात-अज्ञात विश्वातील सर्व पंथसंप्रदाय,ज्ञानमार्ग यातील एक अथवा अधिक तंत्र पद्धतीद्वारा उत्पन्न झाले. भूतवर्तमान तसेच भविष्य काळातील तत्त्ववेत्तेप्रेषित यातील एक अथवा अधिक तंत्रपद्धतीचे फलस्वरुप आहेत.  

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 Devi Asks:

O Shiva, what is your reality?
What is this wonder-filled universe?
What constitutes seed?
Who centres the universal wheel?
What is this life beyond form pervading forms?
How may we enter it full, above space and time, names and descriptions?
Let my doubts be cleared!

Now Shiva replies and describes 112 meditation techniques.  All the religions of the world, all the seers of the world, have reached the peak through some technique or other, and all those techniques will be in these one hundred and twelve techniques.

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तंत्र ३१
पिनां च दुर्बलां शक्तिं ध्यात्वा द्वादशगोचरे |
प्रविश्य हृदये ध्याय ध्यायन् मुक्तः स्वातंत्र्यमाप्नुयात् ||
Having meditated on the gross and weak shakti in the dwadash indriyas, one who enters the heart space and mediates there attains mukti and becomes liberated.

भर पेट भोजन-पानी पाने से मोटे अकल के आराम मतलबी आदमी का शरीर ही नाही, प्राण शक्ती भी मोटी हो जाती है | बाद में सद्गुरू का उपदेश पाकर जब वह योग्याभ्यास में लग जाता है, कुंभक प्रभृति प्राणायामों का अभ्यास करने लगता है, तो धीरे धीरे उसके शरीर के मोटापे के साथ ही प्राणवायु भी कृश हो जाती है, सूक्ष्म से सूक्ष्मतर होती जाती है | इसी सूक्ष्म प्राणशक्ती का द्वादशान्त स्थान में और हृदय में भी प्रविष्ट होकर जो साधक ध्यान करता है, वह मुक्त होकर अपनी स्वाभाविक स्वतंत्र स्थिती को प्राप्त कर लेता है, अर्थात् उसमे परमेश्वर की स्वतंत्र शक्ती, जो की उसका अपना ही स्वरूप है, पूर्णतया अभिव्यक्त हो जाती है | इस धारणा की अभ्यास से गुरु शिष्य के अन्त:करण में प्रविष्ट होकर उसमें अध्यात्मिक शक्ती का संचार करता है |

Look at any object as a whole with looking to its form and not material
(Dharana on Indriyas)

We give eyes an opportunity to move by looking objects in parts. When certain part is in focus, other part is out of focus. Look at a person or object as a form not as a substance. In such, eyes are fixed and cannot move outwards and thus it starts moving inwards. Staring at anything will make it disappear, not because it actually disappears but because your consciousness is no longer flowing outwards. By nature eyes can’t remain focused at any single object and if there is nothing to see outwards, it will turn inwards. When you are focused on world, you are not and when you focused on yourself, the world is not. Science and spirituality both are true on its own. We cannot be aware both the worlds, inner and outer at the same time. For one world, other is maya.

एकाग्र दृष्टीने बाह्य वस्तूच्या तत्त्वचिंतनातून आत्मानुभूती...

कोणतीही बाह्य वस्तू अथवा व्यक्ती संपूर्णत्वाने बघण्याची सवय नाही. त्यातून डोळ्याच्या हालचालीस वाव. वस्तुच्या प्रकाराकडे अथवा विशेषत्वाकडे  बघता केवळ त्यातील मूलतत्वाकडे बघण्याचा प्रयत्न करा. त्यातून दृष्टीला स्थिरता प्राप्त. जेव्हा दृष्टीचे बाह्यगामी वहन थांबेल तेव्हा अंतर्गामी वहन शक्य. स्थिर दृष्टीच्या अंतर्गामी वहनातून बाह्यसृष्टी अदृष्य तर अंतर्सृष्टीची अनुभूती. एकावेळेस केवळ एकाच सृष्टीची अनुभूती शक्य. त्यातून दुसरी सृष्टी आभासात्मक. ब्रह्मं सत्यम् जगन् मिथ्या अथवा जगत् सत्यम् ब्रह्मं मिथ्या.

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