Every month I will be sharing one technique of
meditation. There will be original Sanskrut text, and English / Marathi / Hindi
commentary on the technique. I expect reader should not take it as just a piece
of information but practice the technique that suits him/her for at least one
month to further the spiritual quest.
| These 112
meditation techniques are the ultimate source for self realization |
विज्ञान भैरव तंत्र
Vidnyan Bhairav
Tantra
श्री देव्युवाच
श्रुतं देव मया सर्वं रुद्रयामलसम्भवम् |
त्रिकभेदमशेषेण सारात्सारविभागशः ||
अद्यपि न निवृत्तो मे संशय: परमेश्वर |
किं रुपं तत्वतो देव शब्दराशिकलामयम् ||
किं वा नवात्मभेदेन भैरवे भैरवाकृतौ |
त्रिशिरोभेदभिन्नं वा किं वा शक्तित्रयात्मकम् ||
नादबिन्दुमयं वापि किं चंद्रार्धनिरोधिका: |
चक्रारुढमनच्कं वा किं वा शक्तिस्वरुपकम् ||
परापराया: सकलम् अपरायाश्च
वा पुनः |
पराया यदि तद्वत्स्यात् परत्वं तद्विरुध्यते ||
नहि वर्ण विभेदेन देहभेदेन वा भवेत् |
परत्वं, निष्कलत्वेन, सकलत्वे न तदभवेत् ||
प्रसादं कुरु मे नाथ नि:शेषं छिन्धि संशयम् |
भैरव उवाच
साधु साधु त्वया पृष्टं तन्त्रसारमिदं प्रिये |
गूहनीयतमं भद्रे तथापि कथयामि ते |
यत्किञ्चित्सकलं रुपं भैरवस्य प्रकीर्तितम् ||
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देवीने विचारले...
हे शिवा! तुझे खरे स्वरुप
काय आहे?
हे अचंबित करणारे जगत काय आहे?
बीजाचे मूलतत्व काय आहे?
संसाररुपी चक्राच्या केंद्रस्थानी काय आहे?
नामरुपांच्या पलिकडे काय आहे?
नामरुपातीत अमृतत्वाची प्राप्ती शक्य आहे का?
कृपया माझे शंकानिरसन करा...
शिवाने उत्तरादाखल ११२ ध्यानतंत्रे सांगितली. ज्ञात-अज्ञात विश्वातील
सर्व पंथसंप्रदाय,ज्ञानमार्ग यातील
एक अथवा अधिक तंत्र पद्धतीद्वारा उत्पन्न झाले. भूत, वर्तमान तसेच
भविष्य काळातील तत्त्ववेत्ते, प्रेषित यातील एक
अथवा अधिक तंत्रपद्धतीचे फलस्वरुप आहेत.
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Devi Asks:
O Shiva, what is your reality?
What is this wonder-filled universe?
What constitutes seed?
Who centres the universal wheel?
What is this life beyond form pervading forms?
How may we enter it full, above space and time,
names and descriptions?
Let my doubts be cleared!
Now Shiva replies and describes 112 meditation
techniques. All the religions of the world, all the seers of the world,
have reached the peak through some technique or other, and all those techniques
will be in these one hundred and twelve techniques.
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तंत्र २९
एवमेव जगत्सर्वं दग्धं ध्यात्वा विकल्पतः |
अनन्यचेतसः पुंसः पुंभावः परमो भवेत् ||
In the same way, having meditated with an
unwavering and one-pointed mind on the entire universe being burnt (by
Kaalagni), that man becomes a godman or attains a supreme state of manhood.
इसी तरह से कालपद से उठी कालाग्नि की
ज्वाला से देह के भीतर और बाहर वर्तमान सारे जगत् के सभी पदार्थ भस्म हो गये है, ऐसी
भावना का अभ्यास करने वाले, अनन्यचित्त, निर्विकल्प स्वभाव, योगी के
हृदय में परम पुरुषार्थ, अर्थात् अपरिमित
प्रमाता के रूप में वर्तमान भैरव का स्वरूप आविर्भूत हो जाता है | एक प्रकार से
यहां पूर्वोक्त धारणा की ही पुष्टी की गई है, किन्तु इनमे अंतर इतना है कि पहले
श्लोक में केवल अपने शरीर की भस्म हो जाने की भावना बताई गई है और इसमे सारे जगत्
के दाह की भावना वर्णित है |
Devotion
frees
(Result
of Dharana on Kaalagni)
Before
proceeding into any technique first find out which type you belong to, thinking
or feeling type then choose the appropriate method. Intellect cannot trust and
faith does not ask for proof. There is no need of faith in any thing once the
thing is proved. Faith is a jump into unknown without reason. ‘Falling’ in love
means, descending from head to heart. As loves goes deep it is impossible to
talk. Language is a need of only reasoning mind. In sex only two bodies
dissolve, in love two minds dissolve and in devotion two egos dissolve. It is
an ascending order. Ego is the seed of all impurity. Reason always remain self
centered where as devotion is always other centered. When ‘I’ disappears,
‘thou’ also disappears hence a lover is depicted as God in India. And when ‘I’
is disappeared you are free.
भक्तीतून मुक्ती...
भक्तीचा आधार
श्रद्धा. तर्काशिवाय
अज्ञात विश्वाचा शोध श्रद्धेद्वारा शक्य. प्रेमाचा सर्वोच्च अविष्कार भक्ती. एका व्यक्तीपासून चराचराशी प्रेम शक्य. प्रेमात 'पडणे' म्हणजे तर्काकडून
खाली हृदयाकडे येणे. प्रेमात तार्किकता अर्थशून्य.
भाषेचा संबंध तर्काशी. सर्वोच्च प्रेमाविष्कार शब्दाद्वारे व्यक्त करणे अशक्य. भक्तीत अहंकाराचा
विलय. अहंकारशून्यतेतून
द्वंद्वातीत अवस्थेची अनुभूती.
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