Friday, August 31, 2018

Meditation techniques (ध्यान तंत्र): (VBT25) विज्ञान भैरव तंत्र २५)

Every month I will be sharing one technique of meditation. There will be original Sanskrut text, and English / Marathi / Hindi commentary on the technique. I expect reader should not take it as just a piece of information but practice the technique that suits him/her for at least one month to further the spiritual quest.

| These 112 meditation techniques are the ultimate source for self realization | 

विज्ञान भैरव तंत्र    

Vidnyan Bhairav Tantra

श्री देव्युवाच
श्रुतं देव मया सर्वं रुद्रयामलसम्भवम् |
त्रिकभेदमशेषेण सारात्सारविभागशः ||

अद्यपि न निवृत्तो मे संशय: परमेश्वर |
किं रुपं तत्वतो देव शब्दराशिकलामयम् ||

किं वा नवात्मभेदेन भैरवे भैरवाकृतौ |
त्रिशिरोभेदभिन्नं वा किं वा शक्तित्रयात्मकम् ||

नादबिन्दुमयं वापि किं चंद्रार्धनिरोधिका: |
चक्रारुढमनच्कं वा किं वा शक्तिस्वरुपकम् ||

परापराया: सकलम् अपरायाश्च वा पुनः |
पराया यदि तद्वत्स्यात् परत्वं तद्विरुध्यते ||

नहि वर्ण विभेदेन देहभेदेन वा भवेत् |
परत्वंनिष्कलत्वेनसकलत्वे न तदभवेत् ||

प्रसादं कुरु मे नाथ नि:शेषं छिन्धि संशयम् |


भैरव उवाच
साधु साधु त्वया पृष्टं तन्त्रसारमिदं प्रिये |

गूहनीयतमं भद्रे तथापि कथयामि ते |
यत्किञ्चित्सकलं रुपं भैरवस्य प्रकीर्तितम् ||

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देवीने विचारले...

हे शिवा! तुझे खरे स्वरुप काय आहे?
हे अचंबित करणारे जगत काय आहे?
बीजाचे मूलतत्व काय आहे?
संसाररुपी चक्राच्या केंद्रस्थानी काय आहे?
नामरुपांच्या पलिकडे काय आहे?
नामरुपातीत अमृतत्वाची प्राप्ती शक्य आहे का?
कृपया माझे शंकानिरसन करा...

शिवाने उत्तरादाखल ११२ ध्यानतंत्रे सांगितली. ज्ञात-अज्ञात विश्वातील सर्व पंथसंप्रदाय,ज्ञानमार्ग यातील एक अथवा अधिक तंत्र पद्धतीद्वारा उत्पन्न झाले. भूतवर्तमान तसेच भविष्य काळातील तत्त्ववेत्तेप्रेषित यातील एक अथवा अधिक तंत्रपद्धतीचे फलस्वरुप आहेत.  

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 Devi Asks:

O Shiva, what is your reality?
What is this wonder-filled universe?
What constitutes seed?
Who centres the universal wheel?
What is this life beyond form pervading forms?
How may we enter it full, above space and time, names and descriptions?
Let my doubts be cleared!


Now Shiva replies and describes 112 meditation techniques.  All the religions of the world, all the seers of the world, have reached the peak through some technique or other, and all those techniques will be in these one hundred and twelve techniques.


तंत्र २५
हृद्याकाशे निलीनाक्ष: पद्मसम्पुटमध्यग: |
अनन्यचेताः सुभगे परं सौभाग्यमाप्नुयात् ||
O embodiment of good fortune, one who contemplates with closed eyes and one pointed concentration on the mantra in the middle of the lotus in the heart space achieves the highest spiritual realization.

हे सुभगे, हृदय मे उत्पन्न हुए मनोहर आकाश मे, अर्थात्, प्राण और अपान के मध्यवर्ती स्थान मे जिसका आन्तर और बाह्य इंद्रियचक्र लीन हो जाता है और जो ऊर्ध्व और अधर स्थान मे विद्यमान पद्मो के संपुट के मध्य मे भावना के बल से प्रविष्ट हो गया है, अर्थात् ऊर्ध्वगट प्रमाण रुपी पद्म और अध:स्थित प्रमेय रुपी पद्म के मध्य मे चिन्मात्र प्रमाता के अपने स्वरूप मे स्थित हो जाता है और इसी लिये चिन्मात्रता के अतिरिक्त अन्य किसी वस्तू मे जिसका चित्त संलग्न नही है, वह योगी, विश्वेश्वरता रूप सौभाग्य के, विकसित हो जाने से अत्यंत स्पृहणीय अवस्था को प्राप्त कर लेता है | अर्थात् बाह्य विषयो का उपराम हो जाने से उसमे आन्तर प्रकाश की अभिव्यक्ती हो जाती है | वहा प्रमेयादी रुप संसार का निमेष और उन्मेष व्यापार पद्मदल के संकोच और विकास के तुल्य है, इसीलिये इसकी पद्मसंपुट से तुलना की गयी है | चित्त जब चित्प्रकाश से भर जाता है, तो वह चित्प्रकाश से परिव्याप्त इस सारे विश्व को देख सकता है |  

While having impulse to does something stop suddenly to reveal yourself
(Dharana on the mantra in the heart space)

Ordinarily we go on from one activity to another. Even in sleep it goes on in the form of dreams. Meditation is also become just another activity. Good or bad both are activities. Activity can be practiced not inactivity. If you stop suddenly along with your breath, then gap happens between your and your body as body is still in motion but you are not. Dreamless sleep and Samadhi are different only qualitatively. Mind is trained only for day today activities. In unusual situations it stops and hence dangers have intrinsic appeal because no mind is involved in it. Impulse, desire means movement of overflowing energy. Energy means movement and everything is energy in universe. If the impulse is authentic, you cannot stop the movement of energy. Only thing you can do is to watch the movement by holding back your breath along with the body and direct this energy to reveal your inner center to you.

तत्काळ कृतीशून्यतेतून आत्मानुभूती...

कोणतीही कृती करताना 'स्व' चा विसर कारण शरीराद्वारे त्या कृतीशी एकरुपता. शरीर कृतीमध्ये असताना स्वतःला कृतीपासून वेगळे करा. गतीच्या जडत्वामुळे शरीर कृतीत राहील पण शरीरापासून भिन्न असणारे आत्मतत्व स्थिर असेल. प्रयत्नपूर्वक कृतीशून्यता अशक्य. शरीर सदैव कृतीत व्यस्त. निद्रेत देखील स्वप्नांच्या माध्यमातून कृतीशीलता. केवळ स्वप्नशून्यतेत कृतीहिन अवस्था पण त्यातून आत्मानुभूती नाही. जागृत अवस्थेतील कृतीशून्यतेतून समाधीवस्था आणी त्याद्वारा आत्मानुभूती.  

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